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Saturday 14 August 2021

कोरोना काल

नरेश कुमार ऐरण

समय चक्र कभी कभी ऐसी तीव्र गति से गतिमान हो जाता जिसका अंदेशा किसी को भी नहीं हो पाता । यूं तो हर समय परिवर्तनशील है लेकिन मानव जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हो जाती हैं जिनका परिणाम बहुत ही भयावह स्थिति कर देता । कुछ ऐसा ही वाकया सन 2019 का उत्तरार्द्ध लेकर आया । जब संपूर्ण विश्व अपनी दैनिक दिनचर्या में खोया हुआ अपने कार्यों में व्यस्त था तभी चीन के वुहान शहर में उत्पन्न कोराना वायरस (कोविड-19) पूरी दुनिया में खलबली मचा दी । इससे पहले कि विश्व समुदाय इस वायरस कोविड-19 से बचने का कोई मार्ग तलाश पाता देखते ही देखते इस वायरस ने महामारी का रुप लेकर पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया ।

भय का माहौल इस तरह व्याप्त हुआ की सुरक्षा की दृष्टि से सरकार को देश में लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी । परिणामस्वरूप शहरों में सूनापन छा गया , सड़कें विरान हो गई , कार्यालयों-दुकानों में ताले लटक गए , स्कूल-कॉलेज बंद हो गए , बस और ट्रेनों के पहिए जाम हो गए , संसद और विधानसभा ठप्प हो गई , नौकरियां छूट गई व्यवसाय चौपट हो गए और लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए ।अस्पतालों और नर्सिंग होम में अफरातफरी मच गई , स्वास्थ्य और एजेंसियां मोर्चे पर आ डटी ।

चारो तरफ डर का माहौल छा गया जनमानस अपनी अपनी जिंदगी बचाने के लिए जद्दोजहद करने लगे ,चारों तरफ निराशा और हतासा छा गई । आलम यह हुआ कि लोग शहरों से पलायन कर अपने अपने गृह राज्य में सुरक्षित स्थान के लिए निकल पड़े । अत्यधिक दुर्दशा प्रवासी मजदूरों की थी जो अपने जीवन को सुरक्षित रखने के लिए पैदल , साईकिल, ट्रकों , मोटरसाइकिल द्वारा अपने गंतव्य की ओर चल पड़े । जितना भयावह स्थिति कोरोनावायरस से उत्पन्न हुई थी उससे कहीं ज्यादा दयनीय स्थिति सड़कों पर चल रहे गरीब मजदूर की उपस्थिति से हो गई ।

दिल्ली, मुंबई , गुजरात, पंजाब , मध्यप्रदेश , हरियाणा आदि प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों की भीड़ सड़कों पर आ गई । यातायात साधनों की अनुपस्थिति में लोगों का पग-पग चलना दूभर हो गया । बच्चे -बड़े -बूढ़े भूख-प्यास से जूझते हुए आगे बढ़ने लगे । जीवन बचाने के इस जद्दोजहद में हजारों लोगों को मार्ग में ही अपनी जान गंवानी पड़ी । कोई ट्रेन की पटरियों पर , कोई सड़क हादसों में , कोई भूख-प्यास से तो कोई हिम्मत हार जाने से असमय ही काल कवलित हो गए ।

इस दौरान अफवाहों का बाजार भी गर्म रहा । अनावश्यक रूप से अफवाहों को फैलाकर भी गरीब मजदूरों को परेशान किया गया । लोग तमाशाबीन बने रहे और असमर्थ असहाय लोग अपनी जान गंवाते रहे ।

केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें अपनी अपनी भूमिका को लेकर स्पष्ट दृष्टिकोण नहीं अपना सकी । जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा। यह अलग बात थी कि स्वास्थ्य और सुरक्षा एजेंसियां अपनी अपनी भूमिका काफी जिम्मेदारी पूर्वक निभाई । सफाईकर्मियों का संघर्ष भी उपयोगी रहा । कोरोनावायरस के साथ इस लड़ाई में हमारे कई जांबाज देशभक्त पुलिसकर्मी , डॉक्टर , सफाईकर्मी और अन्य स्वास्थ्यकर्मी जीवन की जंग हार गए ।

देश भयावह स्थिति से गुजर रहा था और सरकार अपना भूमिका निष्ठापूर्वक निभा रही थी। इसके बावजूद कुछ ऐसी कमियां भी सामने आई जिसको किसी भी हालात में अस्वीकार नहीं कर सकते ।

  1. रास्ते में चल रहे मजदूरों के लिए रिलीफ कैंप लगाकर उनके खाने-पीने और सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करना चाहिए था ।
  2. प्रवासी मजदूरों को गंतव्य स्थान तक जाने के लिए यथासंभव यातायात साधनों की व्यवस्था करनी चाहिए थी ।
  3. संवेदनशील मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम करना चाहिए था ।
  4. पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों के रास्तों पर ग्रीन कारिडोर बनाकर उन्हें सुरक्षित जाने दिया चाहिए था ।
  5. प्रवासी मजदूरों के रास्तों में मेडिकल रीलिफ कैंप लगाया जाना चाहिए था ।

सरकार की मदद….

सरकार ने शहरों में रह रहे गरीब लोगों को प्रतिमाह मुफ्त राशन मुहैया कराया । साथ ही अस्थाई राशनकार्ड भी बनाए गए । इससे आर्थिक रूप से निर्बल लोगों को थोड़ा बल मिला । परन्तु मात्र राशन मुहैया कराने से ही समस्या का हल होने वाला नहीं था । नौकरी छूट जाने और व्यवसाय ठप्प हो जाने से बहुत लोगों की आर्थिक स्थिति निम्न स्तर पर आ गई थी । जो बचत थी वह धीरे-धीरे खत्म हो गई थी । सरकार को प्रति परिवार आर्थिक मदद देने का प्रयास करना चाहिए था ।

लॉकडाउन के बाद की स्थिति

देश में मार्च 2020 के अंत में लॉकडाउन की घोषणा की गई । पूरा साल लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया । नौकरियां छिन चुकी थी , व्यवसाय बंद थे, आमदनी का जरिया बंद हो गया था, नई नौकरियों का मार्ग बंद था फलत: लोगों का जीवन स्तर गिर गया । खाने के लाले पड़ गए । एक फिर लोग अपनी-अपनी दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संघर्ष करने में लगे हुए हैं ।

सरकार की भूमिका….

लॉकडाउन के बात केंद्र और राज्य सरकारों को एक बहुत बड़ी भूमिका निभाने की जिम्मेदारी थी । वह थी लोगों की अव्यवस्थित जीवन को पटरी पर लाना । ऐसी स्थिति में सरकार को नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ निजी क्षेत्रों में नौकरी के भी अवसर उपलब्ध कराने चाहिए था । सरकार को निजी क्षेत्र की कंपनियों को निर्देशित करना चाहिए था कि वह शिक्षित और योग्य लोगों को नौकरी उपलब्ध कराए । मासिक वेतन भले ही कम ही हो परंतु सरकार के इस कदम से जरुरतमंद लोगों को आर्थिक मदद मिल जाएगी ।

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